Saturday 3 December 2011

माँ ...

एक शब्द जो कहने में आसान
निभाने में मुश्किल 
जो लिखने में आसान
समझाने में मुश्किल
जो पढने में आसान
पर एहसास जगाने में मुश्किल
पुरे विश्व का धैर्य अपने में समेटे हुए
मुझे भी मिली एक प्यारी सी माँ…
जो निश्छल, पवित्र और प्रेम व धैर्य का भंडार लिए हुए
हमारे जीवन को संवारती आयीं हैं
हँसते मुस्कुराते हमारा हर नखरा
सर आँखों पर सजाती आयीं हैं
न कुछ चाह लिए मन में
न ही कुछ पाने का लालच
जैसे हमें खुश देख
सारा जग पा लिया हो उन्होंने
हम बस इतना ही कहना चाहते हैं
” हम कभी बताते नहीं
पर आप बिन डर जाते हैं हम माँ..
हम कभी दिखलाते नहीं
पर दिलों जान से आपकी परवाह करते हैं माँ…
आपको सब कुछ पता है न माँ……..”

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