कुछ अधूरी बातें
कुछ अधूरे सपने
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
जी रही हूँ..
कुछ अधूरे लम्हे
कुछ अधूरे वाडे
कुछ अधूरे रिश्ते
जी रही हूँ...
न चाहा था ये अधुरा सफ़र
पर अब इंतज़ार के घूँट पी रही हूँ
कुछ अधूरी सी ये ज़िन्दगी
तनहाइयों में लिपटी सी रही हूँ
खो गयी मजिल
खो गए रास्ते
बस भीड़ में गुम हो
अपनी पहचान भी खो रही हूँ
कुछ अधूरी बातें
कुछ अधूरे सपने
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
जी रही हूँ...
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