Thursday 19 September 2013

यादें..

यादों का पिटारा
है अश्रुओं का भंडारा
ख़ुशी और गम
दोनों का इसमें अनमोल संगम
कुछ सहेजे हुए पल
कुछ अनचाही हलचल
है कैसा अजब
ये यादों का समंदर
डूब जाए जो कोई अगर
तो पार लगना है मुश्किल
मझदार फंस जाए जो कोई
तो हिम्मत ना इनसे बड़ी कोई
वो याद ही है
जो जोड़े अतीत के सुनहरे पल
वो याद ही है
जो रुला दे और कर दे हृदय कोमल
ना जाने खुदा को कैसे ये सुझाया
जो यादों का पिटारा हर एक के झोली में है  भिजवाया…

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