Friday, 22 May 2015

क़ाश

ऐ क़ाश के ऐसा हो पाता
वो बचपन
नन्हे क़दमों से
फिर दौड़ा चला आता
ना दुनिया की फ़िक्र
ना ज़माने का डर
अपनी मनमौजों से भरा
वो सुहाना बचपन का सफ़र
वो परियों की कहानियाँ
वो दादी की थपकियाँ
माँ  का लोरियाँ गाना
और यहाँ लेना मेरा झपकियाँ
ना ज़िन्दगी की दौड़ की खबर
ना हर छोटी बड़ी बात की चिंता
हस्ते खेलते गुड़ियों खिलौनों में
था हम सबका बचपन गुज़रता


अब चाहकर भी
लौटना है नामुमकिन
कितने सुकून भरे थे वो
बचपन के प्यारे प्यारे दिन ….

दादी “माँ”



वो थपकियाँ
वो लोरियाँ
वो परियों की कहानियाँ
वो झुर्रियों वाले हाथों से,
गालों को सहलाती उँगलियाँ
वो मर्म स्पर्श
वो नर्म डांट
वो आँखों का नम होना
मेरी हर आह पे
मेरे संग रोना
याद आता है मुझे
वो गोद में सिर रख,
घंटों बतियाना
रोज़ के नए किस्से कहानियाँ सुनाना
याद आता है मुझे
सिर्फ आँखों से डाँटना
और फिर बाहों में ले मनाना
खाना ना खाने पर,
अपने हाथों से खिलाना
याद आता है मुझे
दूर जो चले गए आप
आपको ना छू पाना
एक बार फिर,
गले से कस्स के लग जाना
पुरानी यादोँ को.
वो बचपन को,
फिर से जी जाना
सताता है मुझे
बीता हुआ हर वो पल
याद आता है मुझे………

कमबख्त इश्क़

मोहब्बत की दुनिया में
खूबसूरती है समायी,
चारों तरफ उनका दीदार
जो लबों पे मुस्कुराहट है ले आई
हुस्न – ऐ – इश्क़ नहीं है हमको
रूह को चाहा है हमने,
गुफ्तगू जो उनसे हुई
तो बस फिर क़यामत है आई
कैसे करें हाल – ऐ – दिल
लफ़्ज़ों में बयां,
उनके साथ रहकर तो
ख़ामोशी भी गुनगुनाती दी सुनाई
ना कह पाये हम
अपने इश्क़ की गहराई को,
इसलिए यारों हमारे इश्क़ ने
कभी वो एहमियत ही नहीं है पायी
रोकें तो क्या
कह कर रोकें उन्हें,
यदि इश्क़ होता इतना आसान
तो हीर – रांझा की भी ना होती जुदाई……….

ज़िन्दगी से गुफ्तगू

ज़िन्दगी से मैंने पूछा
किस ओर तू है चल पड़ी
बहती है पानी सी
या मौजों की तू हो चली
मुस्कुरायी ज़िन्दगी ये कहकर
ना पानी ना मौजें
हूँ मैं अपने मंन की रानी
जिस ओर मेरा जी चाहे
रचती हूँ वहीँ
एक नयी कहानी
ना आऊँगी हाथ किसी के
जो चाहे जितना ज़ोर लगाए
ना मानूँगी कहना किसी का
जो चाहे माथा पीट मर जाए


मैंने भी नम आँखों से कहा
ऐ कहकशा
तेरा नशा मुझे हुआ नहीं
है साँस लेना ज़रूरी
पर वो भी अब होता नहीं

DINO



Oh beautiful soul
You are gone
I did right or did wrong
Will never understand 
The guilt that I have 
Can you hear
That I killed you
In my fear
I would have been happy
Had you been here
I miss you daily
In day and night
I miss those evenings
Play, fun and fight
You run and I chase 
And vice versa
Pulling your cheeks
Teasing you my bachcha
You remember your childhood ?
And your little paws
Which made me a human
And rectified my flaws
Your walk your run
Your games your fun
12 yrs of those
Memories to cherish
I will keep in my heart
 And will never let it perish
Why did u go
And left me alone
God should throw
Away his throne
For the beautiful soul 
Selfless like you
He could not do
Justice thy you…
I wish your soul
Get blessed ever n ever
Special bond of ours
Could stay forever…

Finding Me

Tied in some ropes
Without any ray of hopes
Struggling hard to survive
What do I do to revive ?
Fighting with my thoughts
What past has brought
Worrying about future
Not letting me nurture
Present is absent
In the world of nowhere
I am also lost
In convincing and recovering
Nobody cares
For everyone is luxuriating
Freedom is what I seek
From body and soul
That is the only thing
Which will make me WHOLE

RaInBoW….

From infinity to ubiquity,
Touching limitless sky & earth
Several colours spread on its band,
Indicating life’s new birth
It glows & shine,
It grows over the sky
Seeing its beautiful view,
Nature is bound to shy
Its a heavenly view
Which can be rarely seen
The bearings that devise it
Are little bit mean
It implies love of sky & earth,
Togetherness of rain & sun
We still miss the joy to cherish it
The hectic life for which we all have to run
Relish the beauty, the view of a RAINBOW


For making the sky sparklingly glow…