मोहब्बत की दुनिया में
खूबसूरती है समायी,
चारों तरफ उनका दीदार
जो लबों पे मुस्कुराहट है ले आई
खूबसूरती है समायी,
चारों तरफ उनका दीदार
जो लबों पे मुस्कुराहट है ले आई
हुस्न – ऐ – इश्क़ नहीं है हमको
रूह को चाहा है हमने,
गुफ्तगू जो उनसे हुई
तो बस फिर क़यामत है आई
रूह को चाहा है हमने,
गुफ्तगू जो उनसे हुई
तो बस फिर क़यामत है आई
कैसे करें हाल – ऐ – दिल
लफ़्ज़ों में बयां,
उनके साथ रहकर तो
ख़ामोशी भी गुनगुनाती दी सुनाई
लफ़्ज़ों में बयां,
उनके साथ रहकर तो
ख़ामोशी भी गुनगुनाती दी सुनाई
ना कह पाये हम
अपने इश्क़ की गहराई को,
इसलिए यारों हमारे इश्क़ ने
कभी वो एहमियत ही नहीं है पायी
अपने इश्क़ की गहराई को,
इसलिए यारों हमारे इश्क़ ने
कभी वो एहमियत ही नहीं है पायी
रोकें तो क्या
कह कर रोकें उन्हें,
यदि इश्क़ होता इतना आसान
तो हीर – रांझा की भी ना होती जुदाई……….
कह कर रोकें उन्हें,
यदि इश्क़ होता इतना आसान
तो हीर – रांझा की भी ना होती जुदाई……….
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