रहता है मन किसी खोज में
ढूंढता रहता है चैन हर एक की सोच में
बांवरा सा फिर रहा है
शांत ये होता नहीं
छूना चाहता है आसमान की उचाईयों को
पर उडान ये भरता नहीं
घबराता है भयभीत है
अपने में सकुचा सा ये ही मेरा मीत है
ढूंढता रहता है चैन हर एक की सोच में
बांवरा सा फिर रहा है
शांत ये होता नहीं
छूना चाहता है आसमान की उचाईयों को
पर उडान ये भरता नहीं
घबराता है भयभीत है
अपने में सकुचा सा ये ही मेरा मीत है
रंगों में रंगना है इसे
चाहतों से भरना है इसे
एक आज़ाद पंछी की तरह आसमान देना है इसे…
चाहतों से भरना है इसे
एक आज़ाद पंछी की तरह आसमान देना है इसे…
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