Thursday, 30 August 2012

कौन है वो...

जब चाहो तब साथ है वो
जब बढाओ तो पाओ हाथ है वो
न शिकवे कोई न गिले कोई उससे 
बस मांगता दोस्ती की गाँठ है वो
मिल गए यूँही अचानक ज़िन्दगी की राह में
ज़िन्दगी की राह में
सोचा न था क कभी न अलग होने वाला हमराह है वो
हर दर्द बांटा है उससे
हर ख़ुशी बढ़ी है उससे
हस्ते खेलते चलने वाला 
बन गया नाता है वो
दुआ है यूँही रहे ये सफ़र
पा जाए हर मंजिल जिसका हकदार है वो 

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