सपना हो तुम या हो सच्चाई
लगते हो जैसे हो कोई गहरी खाई
जो दूर से सुन्दर है पर पास आने पर जानी उसकी गहराई
दिखाती सुंदर नज़ारे पर गिरा देती है जब जब मैं नज़दीक आई
भूलते नहीं वो नज़ारे वो शामें वो रातें सुहानी
जो पास बैठ कर की थी संग बातें पुरानी
इन्ही ख्यालों में खो कर डूब गयी हूँ उस खाई में
आना है कठिन जान है जोखिम में
सपना हो तुम या हो सच्चाई…
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