Monday 6 May 2013

सपना या सच्चाई


सपना हो तुम या हो सच्चाई 
लगते हो जैसे हो कोई गहरी खाई
जो दूर से सुन्दर है पर पास आने पर जानी उसकी गहराई 
दिखाती सुंदर नज़ारे पर गिरा देती है जब जब मैं नज़दीक आई 
भूलते नहीं वो नज़ारे वो शामें वो रातें सुहानी 
जो पास बैठ कर की थी संग बातें पुरानी
इन्ही ख्यालों में खो कर डूब गयी हूँ उस खाई में 
आना है कठिन जान है जोखिम में 
सपना हो तुम या हो सच्चाई… 

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